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Dr. Babasaheb Ambedkar

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भारत और हिन्दुस्तान में अंतर भारत और हिन्दुस्तान में बहुत बड़ा अंतर है।   वर्ण-व्वस्था , जाति- पाँती , ऊँच-नीच और भेद-भाव मुक्त देश को भारत कहते हैं।   इसके विपरीत अविश्वसनीय लोगों के उस देश को जिसमें वर्ण- व्यवस्था , जाति-पाँती , ऊँच-नीच और भेद-भाव हो की हिन्दुस्तान कहते हैं।   चूंकि हमारे संविधान में वर्ण-व्यवस्था , जाति-पाँति , ऊँच-नीच और भेद-भाव के लिऐ कोई जगह नहीं है इसलिए इसमें हिन्दुस्तान शब्द को भी कोई जगह नहीं दी गई है।   संविधान में भारत   (India that is Bharat) ही लिखा है ,  हिन्दुस्तान नहीं।   तो भारत देश कहिए दोस्तों... x x

साँची की स्थापत्य कला : एक विश्लेषण

साँची की स्थापत्य कला : एक विश्लेषण प्रस्तावना          साँची विदिशा से लगभग ९ कि.मी. दक्षिण-पश्चिम में बिना और भोपाल के मध्य है। कला और शिल्पकारी के दृष्टि से भारतीय बौद्ध तीर्थों में इसका आज उतना ही महत्व है जितना तब था जब की यह बौद्ध धर्मावलंबियों का प्रमुख केंद्र था। सादियों तक यह बौद्ध स्मारकों में अपनी बुलन्दियों के लिए विश्वविख्यात था। यहा प्राप्त अभिलेखो से यह ज्ञात होता है की , इस स्थल का प्राचीन नाम काकणाय या काकणाव था। मुख्य स्तूप की वेदिका पर ४१२-१३ ईसवी तथा ४५०-५१ ईसवी के अभिलेखो में इसका नाम काकनादबोट मिलता है। सातवी शताब्दी ईसवी में अन्य अभिलेख के द्वारा बोट-श्री-पर्वत नाम मिलता है। इस प्राचीन नाम के अवशेषो के रूप में इसका कनखेद नामक गाँव के निकट आज भी स्थित है। यहा बने धार्मिक स्मारकों की नीवं सर्वप्रथम सम्राट अशोक के हाथो में पड़ी थी। जब उन्होने यहा एक स्तूप और स्तंभ का निर्माण किया था। अशोक द्वारा इस निर्माण कार्य के लिए साँची की पहाड़ी चुनने का कारण विदिशा की संभ्रांत महिला से उनका विवाह रहा होंगा। यह...